प्रार्थना अन्वय और शब्दार्थ
वत्सले मातृभूमि ! = (हे) अपनी संतानों पर प्रेम करने वाली मातृभूमि , ते = तुझे , सदा = निरन्तर , नमः = प्रणाम , हिन्दुभूमे = हे हिन्दुभूमि , त्वया = तेरे द्वारा, अहम् = मैं , सुखम् वर्धितः = सुख में बढ़ाया गया हूँ, (वर्धितोअहम् =वर्धितः+अहम्) , महामङ्गले पुण्यभूमे =हे परम मंगलमयी पूण्य भूमि ! , त्वदर्थे = (त्वत्+अर्थे) तेरे लिए , एषः= यह , कायः = शरीर , पततु=अर्पित हो ,(पततु+एषः), नमस्ते नमस्ते = बारम्बार नमस्कार ।।1।।
प्रभो शक्तिमन्= हे शक्तिमान प्रभो ! , हिंदुराष्ट्रांगभूता =हिन्दु राष्ट्र के अंगभूत घटक , इमे=ये , वयं = हम , त्वाम् = तुझे , सादरम् =आदर सहित , नमामः=प्रणाम करते हैं , त्वदीयाय=तेरे लिए , कार्याय=कार्य हेतु , इयम्=यह , कटि=कमर , (कटियम् =कटि+इयम् ) , बद्धा=बाँधी है ,कसी है , तत्पूर्तये=उसकी पूर्ति के लिए , शुभाम् आशिषम् =शुभ आशीर्वाद , देहि=दे , ईश=हे ईश ! , विश्वस्य=विश्व के लिए , अज्य्याम्=जिसे जीतना सम्भव नहीं , शक्तिम्=शक्ति , देहि=दे , येन=जिससे , जगद्=विश्व , नम्रम्=नम्र । भवेत् =हो (ऐसा) , सुशीलम्=उत्तम शील , यत्=जो , स्वयम् स्वीकृतम् =अपनी प्रेरणा से स्वीकृत किया हुआ , नः=हमारे , कण्टकाकीर्णमार्गम् = कण्टकमय मार्ग को (कण्टक=काटे,कष्ट +आकीर्ण=व्याप्त) , सुगम् करयेत्=सुगम करें (ऐसा) , श्रुतम् =ज्ञान , चैव=तथा,भी , देहि=दे।।2।।
समुत्कर्षनिःश्रेयसस्य =समुत्कर्ष और निःश्रेयस का (समुत्कर्ष=ऐहिक और पारलौकिक कल्याण, निःश्रेयस+मोक्ष) , एकम् परम् उग्रम् साधनम् =एकमात्र परम उग्र साधन(जो) , वीरव्रतम् नाम=वीरव्रत नामक(है) , तत्=वह,उसको , अन्तः=अन्तः करण में , स्फुरतु=स्फुटित हो ,जागृत हो , अक्षया=क्षीण न होने वाली , तीव्रा=तीव्र , ध्येयनिष्ठा=ध्येय के प्रति निष्ठा , अनिशम्=नित्य , हृदन्तः=ह्रदय में , प्रजागर्तु=जागृत रहे , विजेत्री=विजयशालिनी , च=और,व , नः=हमारी , संहता=संगठित कार्यशक्ति , अस्य=इस , धर्मस्य=धर्म का , संरक्षणम्=संरक्षण , विधाय+अस्य=करते हुए इसको , एतत्=इसको,इस , स्वराष्टम्=अपने राष्ट्र को परम् वैभवम्=परम वैभव की स्थिति में , नेतुम्=ले जाने में , ते=तेरे , आशीषम्=आशीर्वाद से , भृशम्=अतीव , समर्था=समर्थ , भवतु=हों ।।3।।
।।भारत माता की जय।।
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