संघ कार्य सर्वोत्तम रचनात्मक कार्य
व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण :-
रचनात्मक कार्यों का प्रारम्भ सन् 1920 के असहयोग आंदोलन के पश्चात आयी निराशा को दूर करने के लिए कांग्रेस ने किया। इसके अंतर्गत कार्य थे-- हरिजन उद्धार, ग्राम सुधार, चरखा-खादी का प्रसार, दुर्बल बस्तियों की सफाई, कुएं खोदना, नालियों का निर्माण तथा श्रमदान आदि। इसी कारण इस प्रकार के कार्यों को लोग रचनात्मक कार्य समझने लगे। समाज में सर्वत्र दिखाई पड़ने वाले स्वार्थ, भ्रष्टाचार, राष्ट्रद्रोह आदि दुर्गुणों का मूल कारण राष्ट्रीय चरित्र का अभाव है। यह दूर हुआ तो सभी समस्याएँ स्वयमेव हल होती चली जाएँगी। सभी समस्याओं का समाधान चरित्र सम्पन्न व्यक्तियों द्वारा ही सम्भव। अतः ऐसे व्यक्तियों का निर्माण(संस्कारित करना) ही सर्वोत्तम रचनात्मक कार्य है। पहले "राष्ट्रीय मन" की रचना आवश्यक है। राष्ट्रभक्ति, निस्वार्थता, कर्तव्यबोध दैनिक संस्कारों से ही सम्भव, यह कार्य भाषणों व नारों से नहीं हो सकता। इसलिए संघ ने शाखा द्वारा दैनिक संस्कारों की व्यवस्था की है। समाज रचना हो या राष्ट्र रचना, सबका आधार व्यक्ति है। अतः अपनी संस्कृति के आधार पर ही व्यक्ति निर्माण(चरित्र गठन) का कार्य होना चाहिए। अपनी संस्कृति, अपने जीवन मूल्य, अपनी भाषा, अपने महापुरुष, मातृभूमि की अनन्य भक्ति व गौरवपूर्ण आचरण करने वाले एक-एक व्यक्ति के कारण ही तेजस्वी, शक्तिसम्पन्न, स्वाभिमान से परिपूर्ण समाज का निर्माण होगा। अतः ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करना ही सच्चा रचनात्मक कार्य है। इसी कार्य से सभी समस्याओं का समाधान होगा। संघ इसी कार्यों को कर रहा है।
लेबल: संघ की आधारभूत मान्यताएं
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ