मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

शुद्ध उच्चारण एवम् भावार्थ

किसी भी प्रार्थना व वन्दना के प्रत्येक शब्द उनके अर्थ , भावार्थ ,उच्चारण का योग्य ज्ञान जब तक सम्बंधित व्यक्ति को नहीं होगा ,तब तक प्रार्थना व वन्दना का सही भाव उसमें नहीं जागेगा । एक एक शब्द व उनमें निहित भावार्थ का ज्ञान योग्य प्रकार से कराना तथा शब्दों का लेखन शुद्ध कराना ।हलन्त , विसर्ग , अनुस्वार की जानकारी के अनुसार उच्चारण का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
प्रार्थना में 3 श्लोक तथा 'भारत माता की जय ' ,मिलकर 13 पंक्तिया हैं , दोहराते समय पंक्तियों की संख्या 21 हैं।

प्रथम श्लोक :--प्रथम श्लोक को स्वयंसेवक एक वचन में बोलता है , वह इस श्लोक में कुछ मांगता नहीं अपितु मातृभूमि के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है।मातृभूमि को सर्वोच्च स्थान पर रखते हुए इस मातृभूमि की विशेषताओं का स्मरण कर उसके लिए स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेता है।इस श्लोक के माध्यम से वह मातृभूमि (राष्ट्र) के लिए "मातृभूमे , हिन्दुभूमे , महामङ्गले , पुण्यभूमे " विशेषणों का प्रयोग करता है । इन सभी के विशेष अर्थ हैं।

"वत्सले मातृभूमे" :- अर्थात् अपने पुत्र पर मातृवत स्नेह करने वाली मातृभूमि ,या पुत्र को सदैव मातृवत स्नेह देने वाली होता है। इस श्लोक में "नमस्ते सदा वत्सले " में सदा का सम्बन्ध नमस्ते के साथ है वत्सले के साथ नहीं, और मातृभूमि का परिचय अनादि काल से ही हिन्दुभूमि के रूप में है , यह समझना चाहिए।

" पतत्वेष कायो " :- मातृभूमि के प्रति अनन्य भक्तिभाव के कारण श्रद्धा पूर्वक समर्पण हेतु यह संकल्प है , जिसे स्वयंसेवक नित्यप्रति दोहराता है।
"मातृभूमि के प्रति मेरा सर्वस्वार्पण हो जाये ऐसी अभिलाषा स्वयंसेवक "पतत्वेष कायो" के रूप में व्यक्त करता है। समर्पण केवल एक वचन में अर्थात् स्वयं का ही होता है। कोई दूसरा बलिदान करेगा तब में करूँगा या हम सब बलिदान करेंगे ऐसा नहीं है।

द्वितीय श्लोक :- यह श्लोक उत्तम पुरुष बहुबचन में है। जब हम कोई वस्तु मांगते है तब अकेले के लिए नहीं माँगते है। अतः द्वितीय श्लोक के माध्यम से हम सर्वशक्तिमान ईश्वर को सामूहिक रूप से नमस्कार करते हैं।

"वयं हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता " : - यहाँ हम अपना परिचय सामूहिक रूप से हिन्दु राष्ट्र के अभिन्न अङ्ग के रूप में करते है ( राष्ट्र से एकात्मता , जो संघ का सिद्धान्त है )

"त्वदीयाय कार्याय ":- यहाँ हम सब मिलकर ईश्वर से निवेदन करते है कि , हे प्रभु ! यह कार्य आपका ही है (संघ कार्य ,ईष्वरीय कार्य) हम सब आपका (ईश्वर का) कार्य करने में समर्थ हो सकें इसलिए आशीर्वाद के रूप में आप (ईश्वर) हम सबको विशेष पाँच गुण प्रदान करने की कृपा करें ऐसा इस श्लोक का भाव जानें।

"मांगे गए पाँच गुण " ---

1.अजेय शक्ति --- ऐसी शक्ति जिसको विश्व में कोई जीत न सके ।

2. सुशील :-- ऐसा श्रेष्ठ शील (चरित्र) माँगा है जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये।

3. श्रुतं :-- ऐसा ज्ञान भी माँगा है जो सभी कठिनाईयों तथा समस्याओं में से मार्ग प्रसस्त कर दे,तथा कभी कोई विभ्रम न हो।
स्वयं स्वीकृतं कण्टकाकीर्ण मार्गम् :-- स्वयं स्वीकार किया हुआ यह मार्ग सुखमय नहीं है ,अर्थात् कष्टों (चुनौतियों) से भरा यह कार्य हमने अपने मन,बुद्धि व आत्मा से स्वयं स्वीकार किया है।

तृतीय श्लोक :--शेष दो गुणों के लिए इस श्लोक में सर्वशक्तिमान ईश्वर से निवेदन करते है।

4. वीरव्रत :-- समुत्कर्ष निःश्रेयस - इस लोक तथा ऊध्र्वलोक का उत्कर्ष (वैभव) तथा मोक्ष दोनों वीरव्रती को ही मिलते हैं। ऐसा वीरव्रत भी ईश्वर से माँगा है।(वीरव्रत =विषम परिस्थितियों में भी जो धैर्य रखते हुए अपने लक्ष्य की और अग्रसर रहे वीरव्रती कहलाता है)

समुत्कर्ष निःश्रेयस -ऐहिक एवं पारलौकिक कल्याण।
कणाद मुनि ने धर्म की व्याख्या इस प्रकार की है --- यतोSभ्यूदय निःश्रेयस् सिद्धि: स धर्म: ।

5. अक्षय ध्येयनिष्ठा --- जीवन में ध्येय का स्मरण और उसके प्रति निष्ठा अक्षय बनी रहे अर्थात् जीवन की अन्तिम श्वास तक इस कार्य के प्रति मेरी भावनाएं तथा मेरा समर्पण बाधित या समाप्त न हो । ऐसे आशीर्वाद के रूप में "ध्येय निष्ठा" अन्तिम गुण माँगा है।

विशेष शब्दों के भावार्थ

संहता कार्यशक्तिर् -- कार्य की पूर्णता संघठित शक्ति के आधार पर करने हैं , अर्थात् सभी कार्य संघठन के द्वारा ही करने हैं।

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् -- अपने लक्ष्य "धर्म तथा हिन्दुत्व के रक्षण" को धर्म का रक्षण करते हुए प्राप्त करना ।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं -- यहाँ हम अपने पवित्र ध्येय का स्मरण करते हैं। परम वैभव का अर्थ है कि सभी प्रकार से हमारे राष्ट्र का उत्कर्ष हो। अपने राष्ट्र के जीवन मूल्यों तथा जीवन उद्देश्यों का सम्मान करते हुए राष्ट्र के परम वैभवशाली स्वरुप को हम प्राप्त करें।

भारत माता की जय -- यह उदघोष (नारा) नहीं अपितु भारत माता की सर्वत्र जय-जयकार करने का दृढ संकल्प हम लेते हैं।

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22 टिप्पणियाँ:

यहां 25 जून 2018 को 2:01 am बजे, Blogger Jasvinder ने कहा…

नमस्कार भाई,
साहब बहुत अच्छे से समझाया है आपने संघ प्रार्थना को

 
यहां 30 जून 2018 को 6:35 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Very nice Pandey Sahab
Jay ho!!!

 
यहां 12 अगस्त 2018 को 10:31 am बजे, Blogger UK ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना की श्रेष्ठ विश्लेषण करने के लिये अभिनन्दन है। बचपन में बहुत गाई है यह प्रार्थना। अर्थ भी पता था किंतु इतना विस्तार से नहीं।

 
यहां 29 जुलाई 2019 को 8:32 pm बजे, Blogger Ashok sant ने कहा…

वंदनीय विश्लेषण हेतु अभिनंदन.

 
यहां 4 सितंबर 2019 को 1:50 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

अति सुन्दर लेकिन एक बात समझ नहीं आईं कि तेरह पंक्तियों को दोहराने पर इक्किस बार होगा कृपया समझाने का कष्ट करें

 
यहां 12 सितंबर 2019 को 7:42 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Its lit

 
यहां 22 अक्टूबर 2019 को 12:20 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

संघके हमेशा अच्छे विचार होते है राष्ट्र के लिये ,जबकि भारत मे अन्य संस्था इतना महत्व नही देती आपने श्लोक की बहुत अच्छे ढंग से व्याख्या की धन्यवाद

 
यहां 30 अक्टूबर 2019 को 12:16 am बजे, Blogger कुमार अशोक ने कहा…

बहुत सुंदर व्याख्या की हें , बहुत सी नवीन जानकारी मिली । धन्यवाद :🙏

 
यहां 30 अक्टूबर 2019 को 11:22 pm बजे, Blogger D.B.Dabral ने कहा…

क्यूंकि प्रार्थना में 10 श्लोक है जिनको पद्य में गया जाता है मतलब श्लोक को तोड़ कर कविता रूप में गया जाता है जिसके कारण उसकी लाइने २० हो जाती हैं एक लाइन भारत माता की जय कुल योग २१ हुआ उदाहरण के लिए यहाँ क्लीक करें https://dharavallabh.blogspot.com/2016/10/blog-post_8.html

 
यहां 25 जनवरी 2020 को 7:25 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

इसमें कौन कौन से श्लोक हैं?

 
यहां 20 फ़रवरी 2020 को 5:56 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

प्रार्थना आचार विभाग

 
यहां 23 अगस्त 2020 को 3:02 pm बजे, Blogger kanapram easwaran ने कहा…

इसमें पहला श्लोक भुजंगप्रयात छंद में है।बाकी श्लोक किस छंद में है?

 
यहां 28 सितंबर 2020 को 9:19 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

जय श्री राम jasvindra bhai मुझसे भी जुडिए आप
8868989948
Rashtrabhakt sena

 
यहां 8 नवंबर 2020 को 10:08 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

प्रार्थना का समय कितना है

 
यहां 2 दिसंबर 2020 को 9:35 pm बजे, Blogger ways to earn money online ने कहा…

अति सुन्दर
🚩भारत माता की जय।🚩

 
यहां 12 दिसंबर 2020 को 1:55 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर ब्याख्या

 
यहां 5 जनवरी 2021 को 7:53 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

जय श्री राम

 
यहां 6 मई 2021 को 8:13 am बजे, Blogger जीवन सिंह Pathania ने कहा…

बहुत सुंदर बताया जी ।
मैं तो प्रार्थना को बचपन से गाता था पर अर्थ पता नहीं था ।

 
यहां 24 मई 2021 को 8:19 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने काफी अच्छे व प्रभावशाली से जानकारी को अवगत कराया ✓~

 
यहां 22 जुलाई 2021 को 8:03 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

जय जय श्री सीता राम

 
यहां 24 जुलाई 2021 को 9:57 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

अति सुंदर

 
यहां 25 दिसंबर 2021 को 11:36 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर व्याख्या है। भारत माता की जय।

 

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