शनिवार, 8 अक्टूबर 2016

प्रार्थना व हिन्दी अनुवाद

               "प्रार्थना"
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नमस्ते   सदा   वत्सले   मातृभूमि
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोअहम् ।
                    महामङ्गले   पुण्यभूमे   त्वदर्थे
                    पतत्वेष  कायो नमस्ते नमस्ते।।१।।
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे   सादरं  त्वां  नमामो  वयम् ।
                     त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
                     शुभामाशिषं      देहि     तत्पूर्तये ।
अज्य्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं     जगद्येन     नम्रं   भवेत् ।
                     श्रुतं चैव यत् कण्टककीर्णमार्गम्
                     स्वयं  स्वीकृतं  नः  सुगं   करयेत् ।।२।।
समुत्कर्ष निःश्रेयस्सयैकमग्रम्
परं   साधनं   नाम   वीरव्रतम् ।
                     तदन्त: स्फुरत्वाक्षया ध्येयनिष्ठा
                      हृदन्त:   प्रजागर्तु   तीव्रानिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य    धर्मस्य   संरक्षणम् ।
                      परं वैभवं नेतुमेतत्  स्वराष्ट्रम्
                      समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।
             ।। भारत माता की जय ।।

                          "अनुवाद"

हे वत्सल मातृभूमि ! मैं तुझे निरन्तर प्रणाम करता हूँ।
हे हिन्दुभूमि ! तूने ही मेरा सुखपूर्वक संवर्धन किया है।
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि ! तेरे लिए ही मेरी यह काया काम आये ।मै तुझे बारम्बार प्रणाम करता हूँ।।१।।

हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर ! हम हिन्दुराष्ट्र के अङ्गभूत घठक , तुझे आदरपूर्वक प्रणाम करते हैं।तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है।उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दें।विश्व के लिए जो अजेय हो ऐसी शक्ति , सारा जगत जिससे विनम्र हो ऐसा विशुद्ध शील तथा बुद्धिपूर्वक स्वयं स्वीकृतं हमारे कण्ठकमय मार्ग को सुगम करने वाला ज्ञान व विवेक भी हमें दे।।२।।

ऐहिक और पारलौकिक कल्याण तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए वीरव्रत नामक एकमेव , श्रेष्ठ , उत्कट साधन है , उसका हमारे अंतःकरण में स्फुरण हो।हमारे ह्रदय में अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे।तेरे आशीर्वाद से हमारी विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति स्वधर्म का रक्षण कर अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति में ले जाने में पूर्णतया समर्थ हो।।३।।
                   ।।भारत माता की जय।।

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