गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

एकात्मतास्त्रोतम्

                   ||  एकात्मतास्त्रोत्रम् ||

ॐ नमः सच्चिदानंदरूपाय परमात्मने ।
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमांगल्यमूर्तये ।।१।।
        प्रकृतिः पञ्चभूतानि ग्रहा लोका स्वरास्तथा ।
        दिशः कालश्च  सर्वेषां सदा  कुर्वन्तु मंगलम्  ।।२।।
रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटीनीम् ।
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां  वन्दे भारतमातरम् ।।३।।
         महेन्द्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः।
        ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा ।।४।।
गङ्गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी।
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी।।५।।
         अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
          वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया।।६।।
प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत्।
इंद्रप्रस्थं सोमनाथः तथाअमृतसरः प्रियम्।।७।।
           चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा।
           रामायणं भारतं च गीता सद्दर्शनानि च।।८।।
जैनागमास्त्रिपिटका गुरुग्रंथः सतां गिरः।
एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा।।९।।
         अरुंधत्यनसूया च सावित्री जानकी सती।
          द्रौपदी कण्णगी गार्गी मीरा दुर्गावती तथा।।१०।।
लक्ष्मीरहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा।
निवेदिता सारदा च प्रणम्या मातृदेवताः।।११।।
        श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः।
        मार्कण्डेयो हरिशचन्द्रः प्रह्लादो नारदो ध्रुवः।।१२।।
हनुमाञ्जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः।
दधीचिविश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभार्गवाः।।१३।।
       भागिरथश्चैकलव्यो       मनुर्धन्वन्तरिस्तथा ।
      शिबिश्च     रन्तिदेवश्च    पुराणोद्गीतकीर्तयः।।१४।।
बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पतञ्जलि:।
शंकरो मध्वनिम्बार्कौ श्रीरामनुजवल्लभौ।।१५।।
       झुलेलालोअथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा।
       नायन्मारालवाराश्च  कम्बश्च  बसवेश्वरः ।।१६।।
देवलो  रविदाश्च  कबीरो  गुरुनानकः।
नरसिस्तुलसीदासो दशमेसो दृढ़व्रतः।।१७।।
        श्रीमत्   शंकरदेवश्च   बंधू    सायणमाध्वौ।
         ज्ञानेश्वरस्तुकारामो    रामदासः पुरन्दरः।।१८।।
बिरसा सहजानन्दो रामानंदस्तथा महान्।
वितरन्तु सदैवैते दैवीं सद्गुणसम्पदम्।।१९।।
          भरतर्षि: कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा।
          सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ।।२०।।
रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचंद्रः स भूपतिः।
कलावन्तश्च विख्याताः स्मरणीया निरन्तरम् ।।२१।।
        अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेंद्रश्चोलवंशज:।
        अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेल: सुनीतिमान्।।२२।।
चाणक्यचंद्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः।
समुद्रगुप्त:  श्रीहर्षः  शैलेन्द्रो  बप्परावल:।।२३।।
         लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हूणजित् ।
         श्रीकृष्णदेवरायश्च   ललितादित्य  उद्बलः ।।२४।।
मुसुनूरिनायकौ   तौ  प्रतापः   शिवभूपतिः ।
रणजीतसिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः ।।२५।।
         वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणाद: सुश्रुतस्तथा।
         चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिर: सुधीः।।२६।।
नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः।
ध्येयो वेंकटरामश्च विज्ञा रामनुजादयः।।२७।।
          रामकृष्णो दयानन्दो रविन्द्रो राममोहनः।
           रामतीर्थोरविन्दश्च विवेकानन्द उद्यशाः।।२८।।
दादाभाई गोपबन्धु: तिलको गांधीरादृताः।
रमणो  मालवीयश्च  श्रीसुब्रह्मण्यभारती ।।२९।।
           सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिविरो विनायकः।
           ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः।।३०।।
संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा ।
स्मरणीया सदैवैते नवचैतन्यदायकः।।३१।।
                अनुक़्ता ये भक्ता: प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः
                अविज्ञाता वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः।
समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः।
नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम्।।३२।।
        इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्।
        स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत्।।३३।।

                  ।।   भारत माता की जय   ।।
              
          

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1 टिप्पणियाँ:

यहां 10 मार्च 2019 को 12:01 pm बजे, Blogger Swapnil Soni ने कहा…

अविज्ञाता शब्दमें बदल है। इसकी जगह अनिर्द्रष्ठा करे।

 

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