बुधवार, 23 सितंबर 2015

स्वयंसेवक के गुण और व्यवहार

स्वयंसेवक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए।
1. अक्षय ध्येयनिष्ठा ।
2.निरंतर साधना।
3.24 घंटे का स्वयंसेवक।
4.चरित्रवान।
5.समर्पित ।
6.अहंकार शून्य।
7.अनुशासित व संघानुकूल जीवन रचना।
8.व्यवहार कुशलता(छोटे-बड़े स्वयंसेवकों,परिवार,निवास व व्यवसाय क्षेत्र आदि के प्रति।
9.दृढ़ता (वीरव्रत जैसे :- रक्त दे सकते हैं परंतु देश की मिट्टी नही।
10.आत्मविश्वास।
11.विजिगीषु वृति।
12.आत्मनिरीक्ष।
13.तत्व व व्यवहार में एकरूपता(कथनी और करनी समान)।
14.लोकसंग्रही।
15.स्वयं के सर्वांगीण विकास के प्रति आग्रही।
16.अधिकाधिक दायित्व ग्रहण करने की मानसिकता।

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2 टिप्पणियाँ:

यहां 24 मार्च 2020 को 7:55 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

संघ स्वयंवेक ,वास्तव में कलियुग में भी मानवता जीवित रहे और मनुष्य धर्म का एक चरण अर्थात 25 % धर्म भी पूर्णता से अपनी मानवीय जीवन शैली को बनाये रखे ऐसा मानवीय जीवन एक स्वयंसेवक का होना चाहिए इसी कार्य मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निरंतरता के साथ संलग्न है।

 
यहां 10 अप्रैल 2020 को 10:27 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Yes

 

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