हिन्दु समाज में विविधता में भी एकता
भौगोलिक विविधताओं में एकता --
उत्तर में हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखला , उत्तर-प्रदेश ,पंजाब व राजस्थान में लू , चेरापूँजी ,असम में मूसलाधार वर्षा तो राजस्थान के कुछ क्षेत्र बूँद-बूँद पानी को तरसते है , कहीं उपजाऊ मैदान तो कही बंजरभूमि आदि। अनेक जातियाँ, पंथ, सम्प्रदाय, वेशभूषा, अनेक भाषाएँ, लगभग 200 बोलियाँ। संविधान में भी 18 प्रादेशिक भाषाओं को मान्यता फिर भी "एकता" हमारा वैशिष्ट्य। एक देश, एक जन, एक भूमि, एक संस्कृति
उत्तरं यत् समुद्रस्य...........भारती यत्र सन्तति। और स्नान से पूर्व सातों पवित्र नदियों का स्मरण---
"गंगे च यमुने चैव, गोदावरिसरस्वती ।
नर्मदे सिन्धुकावेरी,जलेअस्मिन सन्निधिं कुरु।।"
आदि हमारी भौगोलिक विविधताओं के मध्य भी भौगोलिक एकता का दर्शन कराती है।
सांस्कृतिक व सामाजिक एकता ---
समान ग्रन्थ :- वेद, उपनिषद् ,ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, स्मृतियाँ, आगम, पिटक ग्रन्थ, श्री गुरुग्रन्थ साहिब,रामायण, महाभारत,गीता "ओंकार" तथा "स्वस्तिक" आदि की सर्वत्र मान्यता। आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित भारत के चारों दिशाओं में मठ, देश के विभिन्न भागों में 12 ज्योतिर्लिंग, 52 शक्तिपीठ, गणेश पूजकों, वैष्णवों, शैवों, आर्य समाजियों, जैनियों, बौद्धों, सिक्खों व अन्य अनेको सम्प्रदायों के कितने ही तीर्थ क्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष में फैले हुए है । कुम्भादि मेले, वर्ष प्रतिपदा, मकर संक्रान्ति, विजय दशमी, दीपावली, होली, कर्मफल, पुनर्जन्म में विश्वास, त्याग की महिमा, गाय, गुरु, भगवाध्वज, गंगा, आदि सभी सम्प्रदायों का इनके प्रति आदर, श्रद्धा, सम्मान आदि का भाव हमारी सांस्कृतिक व सामाजिक एकता को दर्शाता है।
ऐतिहासिक एकता ---
सातवीं शताब्दी से पूर्व का गौरवशाली अतीत सभी हिन्दुओं (भारतियों)का समान है। प्रान्त, भाषा आदि का विचार न कर विदेशियों का प्रतिकार करने की ऐतिहासिक व श्रेष्ठ परम्परा। 326ई. पूर्व पोरस के आक्रमण के कारण यूनानी सेना वापिस लौटते समय दो दलों में विभाजित हो गयी। एक दल फिलिप्स के नेतृत्व में तथा दूसरा भाग सिकंदर के नेतृप्त में।
मालवों और क्षुद्रकों के संघठित प्रयत्नों से सिकन्दर की पराजय हुई। बाद में उन्हीं युद्धों में हुए घावों के कारण उसकी मृत्यु भी हुई। चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त का शासन गान्धार तक पहुचाँ। 190 ई. पूर्व कलिंग के राजा खारवेल ने पाटलिपुत्र का घेरा तोड़ कर पहले यवन राजा डेमिट्रियस को पराजित किया। चंद्रगुप्त, विक्रमादित्य, शालिवाहन, यशोधर्मा, समुद्रगुप्त आदि द्वारा राजनैतिक एकता के सराहनीय प्रयास किया।
भाषाई विविधता में भी एकता --
संस्कृत भाषा समान रूप से आदरणीय। हिन्दी तथा अन्य सभी प्रान्तीय भाषाओं की जननी, संस्कार आदि कार्य समान भाषा संस्कृत में ही, मुहावरे, शकुन-अपशकुन विचार सारे देश व सभी भाषाओं में एक समान, समस्त देश में सभी भाषाओं के लोकगीतों में विषयवस्तु(कथाएं)एक प्रकार की ही है। वे राष्ट्र की एकता के ज्वलन्त प्रमाण हैं। भारत की विभिन्नताएं उसकी प्राकृतिक छटा तथा विकल्प के ही विविध सुन्दर दृश्य हैं। सारे देश में एक मौलिक एकता है। ये विभिन्नताएं भारत माता की एकता रूपी वर्णमाला में अलग-अलग प्रकार के सुन्दर और मनोहर मोती हैं।
लेबल: बौद्धिक विभाग
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