शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

राष्ट्र किसे कहते है ? राष्ट्रीय की परिभाषा ।

राष्ट्र का निर्माण भूमि,जन व संस्कृति से होता है। राष्ट्र राज्याश्रित नहीं रहता भारतवर्ष का समाज राज्याश्रित नहीं रहा। शालाएँ, मठ-मंदिर,सर्वदूर फैली हुई सन्यासी परंपरा तथा संयुक्त परिवार सभी सांस्कृतिक चेतना के केंद्र स्वतंत्र थे।विभिन्न परंपराएं राष्ट्र को जोड़े रही जैसे:- कुम्भ,चार धाम यात्रा या कोई उत्सव तथा विभिन्न परंपराएं आदि। इतना ही नहीं यहाँ की आर्थिक व्यवस्था भी स्वावलम्बी तथा विकेन्द्रित थी। सांस्कृतिक दृष्टि से अधिक अंतर नहीं आया।उपयुक्त सभी व्यवस्थाओं द्वारा यहाँ का समाज सभी प्रकार के संस्कार बनाये रखते हुए संघर्षों में भी अपने धर्म पर अडिग रहने की प्रेरणा प्राप्त करता रहा है।यहाँ राजाओं,सम्राटों,नन्दों ने सदैव अपने ऊपर धर्मदण्ड यानि समाज शक्ति को स्वीकार किया ।यानि समाज की नैतिक सत्ता राज्य सत्ता से सदैव ऊपर रही ,राज्यशक्ति के ऊपर लोकशक्ति एवं धर्मशक्ति अर्थात राष्ट्र प्रभावी रहा।विविध भाषा,वेश-भूषा,खान-पान आदि विभिन्न चीजें राष्ट्र की एकात्मता में कभी भी बाधक नहीं रही ,अपितु यह सब विविधताओं में एकता की दृष्टि है और यह सब राष्ट्र की एकात्मता की सदैव पोषक रही हैं।भारत के सन्दर्भ में राज्य समाज जीवन को चलाने के लिए मात्र एक साधन है,जबकि पश्चिम में राज्य साध्य है।अपने यहाँ केवल भौतिकता का विचार नहीं,शाश्वत जीवन मूल्यों की स्थापना में राज्य सहयोग की भूमिका में रहा है उदाहरण- शिवाजी ने राज्य प्राप्त कर सुख भोगने मात्र के लिए संघर्ष नहीं किया था अपितु हिन्दू स्वराज स्थापित करने तथा उसका स्वाभिमान वापिस लाने के लिए संघर्ष किया था,इसलिए वे अपने राज्य में उच्च जीवन मूल्यों की स्थापना कर सकें। भारत में राज्य बदले परंतु राष्ट्र अक्षुण्ण है,यहाँ तक कि विदेशी आक्रमणों की श्रृंखला चली,उन्होंने यहाँ राज्य भी स्थापित किये किन्तु भारत राष्ट्र समाप्त नहीं हुआ।जबकि दुनिया के अनेक विख्यात राष्ट्र आक्रमणों के एक झटके में ही धरासायी हो गए जैसे यूनान,रोम,मिस्र आदि उदाहरण हमारे सामने हैं। राष्ट्र केवल भौतिक भावनाओं की सजातीयता नहीं अपितु उसका अपना भावात्मक स्वरुप भी तो है।
राष्ट्रीय शब्द को परस्पर भारतीय (हिंदुत्व) का पर्यायवाची ही समझना चाहिए
राष्ट्र एक सांस्कृतिक इकाई है ,या यह कहें कि राष्ट्र संस्कृतिवाचक शब्द है। जबकि देश एक भौगोलिक इकाई और राज्य राजनैतिक इकाई राष्ट्र या राष्ट्रीयता को दर्शाने लिए आवश्यक बिन्दु क्या होने चाहिए?  उसके लिए आवश्यक है कि उस विशेष समाज के लिए एक मातृभूमि, उस समाज के पूर्वज समान,समान इतिहास,परंपरा,संस्कृति,आदर्श,श्रद्धा केंद्र,समान जीवन लक्ष्य,समान सुख-दुःख, समान शत्रु-मित्र भाव,समान आशाएँ-आकांक्षाएं आदि से उस समाज की राष्ट्रीयता प्रकट होती है। भारत की उन्नति और विजय से सभी राष्ट्रीय शक्तियों को प्रसन्नता तथा पराजय से दुःख होना उसकी राष्ट्रीयता को ही तो दर्शाता है।और जिस समाज व व्यक्ति का व्यवहार इसके विपरीत हो वह अराष्ट्रीय श्रेणी में आता है। हिन्दू ही इस देश को मातृभूमि,पितृभूमि,पुण्यभूमि,कर्मभूमि आदि मानता है इसलिए वह राष्ट्रीय है। इस देश पर जब-जब संकट उत्पन्न हुआ तथा होगा तो सामान्यतया वेदना हिन्दु समाज को ही हुई थी और भविष्य में भी होगी। इसलिए हिन्दू ही राष्ट्रीय है। उसकी संपूर्ण जीवनशैली,आदर्श,,उत्सव,इतिहार,भूगोल, आदि-आदि प्रतिक आदि राष्ट्र की द्योतक है।

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