गुरुवार, 29 सितंबर 2016

गण गीत

जय जननी जय पुण्य धरा , अनुपम तेरी परम्परा।
सत्य अहिंसा की ज्योति , तू मानवता  की मोती  ।
ऋषियों की तू भू रुचिरा , अनुपम  तेरी परम्परा  ।
                             जय जननी जय पुण्य धरा।।
हिन्दू धर्म का तू आलय , सत पंथों का तू आश्रय ।
आँचल  तेरा  प्रेम  भरा ,  अनुपम   तेरी   परंपरा ।
                             जय जननी जय पुण्य धरा।।
मुक्ति  भावना  से भूषित , बलिदानों से तू पूजित ।
वीर  प्रसूता    वसुन्धरा ,  अनुपम  तेरी  परम्परा ।
                            जय जननी जय पुण्य धरा ।।
तेरी  सुन्दर  सरिताएं  , गिरी  गौरव  की  मालायें ।
तन-मन  तेरा  हरा-भरा  , अनुपम  तेरी  परम्परा ।
                             जय जननी जय पुण्य धरा।।
तुझसे ही हम संवर्धित,तन-मन-धन तुझको अर्पित।
तू  करुणामय  प्रियम्बरा ,  अनुपम  तेरी  परम्परा ।
जय  जननी जय पुण्य धरा , अनुपम तेरी परम्परा ।

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