गण गीत
जय जननी जय पुण्य धरा , अनुपम तेरी परम्परा।
सत्य अहिंसा की ज्योति , तू मानवता की मोती ।
ऋषियों की तू भू रुचिरा , अनुपम तेरी परम्परा ।
जय जननी जय पुण्य धरा।।
हिन्दू धर्म का तू आलय , सत पंथों का तू आश्रय ।
आँचल तेरा प्रेम भरा , अनुपम तेरी परंपरा ।
जय जननी जय पुण्य धरा।।
मुक्ति भावना से भूषित , बलिदानों से तू पूजित ।
वीर प्रसूता वसुन्धरा , अनुपम तेरी परम्परा ।
जय जननी जय पुण्य धरा ।।
तेरी सुन्दर सरिताएं , गिरी गौरव की मालायें ।
तन-मन तेरा हरा-भरा , अनुपम तेरी परम्परा ।
जय जननी जय पुण्य धरा।।
तुझसे ही हम संवर्धित,तन-मन-धन तुझको अर्पित।
तू करुणामय प्रियम्बरा , अनुपम तेरी परम्परा ।
जय जननी जय पुण्य धरा , अनुपम तेरी परम्परा ।
लेबल: गीत